The other day I got talking to a friend in India. He asked me what are my plans and when I mentioned that sooner or later I’d like to return to my homeland, he had a few words of advice, tongue solidly in cheek, listing why it would be a bad idea. Knowing my tendency for vacillation between jobs and professions, he imagined I was looking to go back to working in a TV channel (where I spent a substantial time in the past, with not much regret). So he set out on painting the picture of today’s TV media in India. This probably applies to the media in general – whether in India or much of elsewhere in the world – so after our long dialogue I asked him to pen his views down for me. The piece is in Hindi, so sorry if you cannot read Hindi or your PC doesn’t display the script properly.

अबे बांगड़ू, यहां आके आई लव माई इंडिया का गाना गाओगे? तुम भी किसी टीवी चैनल में बैठके ज्ञान बांटोगे क्या?

टीवी चैनलों का सेट ज्ञान (अगर इसके अलावा कोई और लाइन ली तो जल्द ही नौकरी नहीं बचेगी) —

1. राज ठाकरे — कमीना है। साला कहता है नॉर्थ इंडियन्स मुंबई के बाहर निकलें। देश में हरेक को कहीं भी रहने की फ़्रीडम है। आफ़्टर ऑल, आर कांस्टीट्यूशन सेज़ दैट। और वैसे भी, बहुतेरे नॉर्थ इंडियन्स मुंबई में चालीस साल से रह रहे हैं। अब वो उनका घर है।

2. आदिवासी — बिला वजह रोते हैं। पता नहीं साले क्यों नहीं जंगल-पहाड़ ख़ाली करते हैं। ये क्या बात हुई कि उन्हें सिर्फ़ इसलिए वहां रहने दिया जाए क्योंकि वो हज़ारों साल से वहां रह रहे हैं? घर-वर कुछ नहीं होता। डेवलेपमेंट नहीं चाहिए क्या?

3. एम्स के रेज़िडेंट डॉक्टर — आरक्षण के ख़िलाफ़ हड़ताल करने वाले क्रांतिकारी डॉक्टर। जात की राजनीति करने वाले कमीने नेताओं के ख़िलाफ़ खड़े होने वाले अकेले वीर।

4. एम्स के रेज़िडेंट डॉक्टर — अधिक पगार के लिए हड़ताल करने वाले कमीने डॉक्टर। देखो मोरादाबाद से आया बेचारा ग़रीब बीमार तीन दिन से फ़ुटपाथ पे लाइलाज पड़ा है।

5. एम्स डाइरेक्टर वेणुगोपाल — बहुत सही हुआ सुप्रीम कोर्ट ने नौकरी बहाल कर दी। ये क्या बात हुई कि सरकारी इंस्टीट्यूट है एम्स तो सरकार जब चाहे डाइरेक्टर को निकाल दे?

6. लेबर लॉ रिफ़ॉर्म — प्राइवेट कम्पनियों को पूरी छूट होनी चाहिए कि जब चाहें जिसे नौकरी से निकाल दें। तभी इंडिया की इकनॉमिक ग्रोथ चाइना के बराबर होगी।

7. सुप्रीम कोर्ट — ग्रेट इंस्टीट्यूशन। वेणुगोपाल की नौकरी बहाल करके इंसाफ़ किया है। लोकतंत्र की आख़िरी उम्मीद।

8. सुप्रीम कोर्ट — डिसअपॉइंटिंग। ओबीसी आरक्षण का फ़ैसला बड़ा मायूसी वाला है।

9. सुप्रीम कोर्ट — बकवास आदेश था कि दिल्ली में ग़ैरक़ानूनी दुकानें बंद की जाएं। आख़िर लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी का क्या होता?

10. सुप्रीम कोर्ट — सही आदेश था कि कि नर्मदा घाटी के गांववाले बाहर निकाल दिए जाएं और उनके गांव बांध के पानी में डूब जाएं।

11. नारायणमूर्ति — महान व्यक्ति हैं। अपना पाख़ाना ख़ुद साफ़ करते हैं। राष्ट्रपति होना चाहिए था।

12. अब्दुल कलाम — महान व्यक्ति हैं। अपना पाख़ाना ख़ुद नहीं साफ़ करते हैं। क्या राष्ट्रपति थे।

13. मनमोहन सिंह — बहुत ईमानदार आदमी हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि नेता नहीं हैं, बल्कि बिलकुल मिडिल क्लास जैसे हैं। पंद्रह साल पहले इन्होंने ही देश को कंगाल होने से बचाया था। आज अगर आप दिल्ली में रीड ऐंड टेलर के सूट ख़रीद सकते हैं तो इनको शुक्रिया कहिए।

14. मुकेश अम्बानी — ज़बरदस्त आदमी हैं। जानते हो कितने अमीर हैं?

15. अनिल अम्बानी — ज़बरदस्त आदमी हैं। जानते हो कितने अमीर हैं?

16. ग्लोबलाइज़ेशन — भगवान की देन है। पागल तो नहीं हो इसकी बुराई कर रहे हो? देखो किस तरह रतन टाटा और लक्ष्मी मित्तल और सुनील मित्तल चौड़े से गोरों की कम्पनियां ख़रीद रहे हैं। गो इंडिया गो गो!!

17. न्यूक्लियर डील — संसद से क्या लेना देना? सरकार को पूरा हक़ है कि वो जो चाहे फ़ैसले ले, चाहे संसद में उन फ़ैसलों का समर्थन अल्पमत में हो।

18. अरुंधति रॉय — कुतिया है साली। इग्नोर करो।

19. आमिर ख़ान — बहुत संजीदा एक्टर हैं। बहुत संजीदा आदमी हैं। कोका कोला की बात मत करो।

20. शाहरुख़ख़ान — आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों, लोगों को समझ में आएगा कि एसआरके को पीएम होना चाहिए।

21. अमिताभ बच्चन — लेजेंड हैं। ये नहीं चली तो अगली फ़िल्म चलेगी।

22. आतंकवाद — सबको गोली मार देनी चाहिए। फांसी पे लटका देना चाहिेए। मुसलमानों को चाहिए कि रोज़ आतंकवाद को कंडेम करें। पुलिस को जितने हथियार देने हैं दे दो। मुक़दमा चले ना चले, जो भी गिरफ़्तार हों सालों-साल जेल में रखे जाएं।

23. सिमी (या हूजी या लेट या कोई भी) — अंडरग्राउंड है। इसके तार दूर दूर तक फैले हैं। शहर शहर में स्लीपर सेल्स हैं। इसीलिए पोटा चाहिए।

24. नक्सलवादी — एंटी-डेवेलपमेंट हैं। बंदूक से बात मनवाने की बात जायज़ नहीं।

25. सरकार — पूरा अधिकार है कि नक्सली इलाक़ों में (या एंटी़-डेवेलप्मेंट के लोग जहां भी हों वहां) बंदूक से अपनी बात मनवाए।

26. क्रिकेट — नेशनल पैशन है। इंडिया की आबरू है। गो इंडिया गो गो!!

27. इंफ़्लेशन — इट्स अ बैड थिंग। इट मे अफ़ेक्ट द चांसेज़ ऑफ़ द रूलिंग कोऑलिशन ऐट नेक्स्ट इयर्ज़ पोल्स।

28. पब्लिक सेक्टर प्राइवेटाइज़ेशन — हैं?? अभी भी कुछ कम्पनियां बची हैं क्या??

29. अंग्रेज़ी — इंडिया के ग्लोबल इकनामिक सुपरपावर बनने की वजह। जबतक बाक़ी बचे नब्बे करोड़ इंडियन्स अंग्रेज़ी नहीं बोलेंगे ये देश आगे नहीं बढ़ेगा। आई डोंट केयर कि बग़ैर अंग्रेज़ी अपनाए चाइना इंडिया का बाप बन चुका है; कि जर्मनी, फ़्रांस और ब्रिटेन से बाहर के बाक़ी योरोपीय देश, और अमेरिका के पिट्ठू जापान और दक्षिण कोरिया अपनी अपनी भाषाओं में डेवलेप्ड हुए हैं।

30. बाल कुपोषण (या जच्चा मृत्यु दर या किसान आत्महत्या) — स्टोरी नॉट नीडेड।

31. बढ़ती ग़रीबी — स्टोरी नॉट नीडेड। एक्चुली, इट्स नॉट ईवन ट्रू दैट पॉवर्टी इज़ इन्क्रीज़िंग। द रेट ऑफ़ ग्रोथ इन पॉवर्टी इज़ फ़ॉलिंग।

32. मुसलमान (या दलित) — एक होमोजिनस यूनिट है। सभी मुसलमान एक जैसा सोचते हैं और करते हैं।

33. ओबीसी — क्रीमी लेयर रिज़रवेशन का फ़ायदा उठाके असली पिछड़ों को आगे नहीं बढ़ने देता।

34. एफ़डीआई — जब तक फ़िरंगी कम्पनियां इंडिया की हर चीज़ की मिल्कियत अपने हक़ में नहीं कर लेतीं इंडिया प्रोग्रेस नहीं कर सकता।

35. विदेशी गाड़ियां — और बनाओ, और बेचो।

36. पब्लिक ट्रांस्पोर्ट — इसमें तो नौकर चपरासी धोबी मोची चलते हैं। इसकी क्या बात करनी।

37. अमेरिका — नेचुरल फ़्रेंड ऑफ़ इंडिया। जो ये कहे कि हमें अमेरिका का पिछलग्गू नहीं होना चाहिेए एंटी-इंडिया है।

38. शराब — पीने की उम्र कम होनी चाहिए। गली गली में ठेका खुला नहीं तो खुलना चाहिए। ये हमारा संवैधानिक अधिकार है।

39. गुड़गांव (या बैंगलोर या हैदराबाद) — जैसा पूरे देश को बन जाना चाहिए। जहां ढेर सारी बड़ी बड़ी इमारतें हों।

40. गांव — ख़ाली होने चाहिए क्योंकि खेती इतनी बड़ी आबादी की कमाई का रास्ता नहीं हो सकती। गांववालों को शहर आना चाहिए और सड़क किनारे बस के मज़दूरी करनी चाहिए।

41. लोकतंत्र — अच्छी चीज़ है जबतक चुना हुआ हर नेता ग्लोबलाइज़ेशन को आगे बढ़ाने को तैयार है।

42. नंदीग्राम — कमीने वामपंथी स्वाभिमानी गांववालों पे ज़बरदस्ती औद्योगिकरण थोपना चाहते थे।

43. कलिंगनगर (उड़ीसा) — वहमी गांववाले बिलावजह औद्योगिकरण के ख़िलाफ़ हैं।

44. एसईज़ेड प्रोजेक्ट्स — बहुत अच्छी चीज़ है ख़ासतौर से इसलिए कि वहां आम क़ानून वग़ैरह लागू नहीं होते और वहां बसी कम्पनियों की कोई अकाउंटेबिलिटी नहीं होती।

45. गुजरात — क़ानून का दर्ज़ा वोट से नीचे है। नरेंद्र मोदी के सभी पाप चुनाव जीतने पे धुल गए। वैसे भी अब छोड़ो ना गुजरात-शुजरात।

अगर फिर भी इंडिया लौट के आना चाहते हो कमसेकम कुछेक चीज़ें कर लो —

क. हिंदी ठीक करो। फिर को फ़िर बोलो। दवाइयों को दवाईयों लिखो। ढाबा अब ढ़ाबा हो गया है, सीख लो।
ख. मन बना लो कि हर जगह सबसे पहले बोलोगे तुम बीबीसी बीबीसी बीबीसी बीबीसी बीबीसी बीबीसी में काम करते थे।
ग. आने से पहले इंटरनेशनल (अमेरिकी) उच्चारण की अंग्रेज़ी बोलने का कोर्स करो। जितना ऐकुरेट अमेरिकी एक्सेंट होगा उतनी गंभीरता से तुम्हारी बात ली जाएगी।
घ. माइकल जैकसन की तरह अगर पिगमेंट ऑपरेशन करवा सको तो बहुत ही बढ़िया है। गोरी चमड़ी का ज़बरदस्त मार्केट है यहां।
च. लंदन बैठे बैठे बीबीसी के नामपे इंडिया के कुछेक बड़े लोगों से जान-पहचान करलो और उनके नम्बर अपने मोबाइल में सेव कर लो। बहुत काम आएंगे।

सोच लो। दूर बैठे बिलावजह इमोशनल होके इतनी बड़ी ग़लती मत कर लेना कि सिर्फ़ देशप्रेम में वापस चले आओ।

भूल गए कि गांधीजी ने कहा था क्विट इंडिया?

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

This Post Has One Comment

  1. Radhika Yeddanapudi

    The hindi part is the best part. hilarious!